Ayodhya: Rama Navami के मौके पर Ram Mandir में हुआ बड़ा ऐलान, जानें पूरी खबर
Breaking News: Ayodhya Ram Mandir Rama Navami 2024
सूर्य तिलक (Surya Tilak 2024):
जैसा की आप जानते हैं, रामनवमी के पावन अवसर पर राम लला का सूर्य तिलक किया जायेगा.
राम लला के सूर्य तिलक या सूर्य अभिषेक के उचित समय की बात की जाये तो, दिनांक 17 अप्रैल 2024 को दोपहर में 12 बजे किया जायेगा.
आपको जानकर हैरानी होगी की सूर्य तिलक मकेनिज्म का उपयोग जैन मंदिरों और कोणार्क के सूर्य मंदिरों में पहले से ही किया जा रहा है .
- कोबा जैन तीर्थ (अहमदाबाद)
- गवी गंगढ़ारेश्वर मंदिर (बंगलुरु)
- सूर्य मंदिर (मोढेरा)
- महालक्ष्मी मंदिर (कोल्हापुर)
Breaking खबर: अयोध्या रामनवमी में क्या खास होगा 2024 में?
इस साल 2024 में रामनवमी का त्यौहार बहुत ज्यादा खास त्यौहार होने जा रहा है.
सभी सनातनी और रामभक्तों के लिए गर्व का विषय है.
हर्षौल्लास भरा यह पर्व सभी राम भक्तों के जीबन में अपार खुशिया सुख समृद्धि लाये.
आपको जानकर हैरानी होगी की, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, यह अयोध्या के भव्य मंदिर “राम मंदिर” की यह पहली रामनवमी होगी, जो की एक एतिहासिक समय होगा हम सभी रामभक्तो के लिए.
इस बार राम नवमी का पर्व विशेष रूप से अहम है। अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति की स्थापना के बाद यह पहली राम नवमी है। राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस दिन के लिए खास तैयारी की है। राम नवमी के दिन रामलला का सूर्य तिलक होगा, जो 17 अप्रैल को दोपहर 12:00 बजे निर्धारित किया गया है। इसी समय रामलला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा।
रामलला के सूर्य तिलक की विधि कैसे होती है? जानें कौन से मंदिरों में होता है यह अनुष्ठान
रामलला का सूर्य तिलक किस प्रकार किया जाता है?
दोपहर 12 बजे रामलला के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी और चार मिनट तक उनके चेहरे को रोशन करेंगी। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि रामलला के सूर्य तिलक की तैयारी पूरी मेहनत से की जा रही है। संभव है कि राम नवमी पर वैज्ञानिकों के प्रयास सफल हों। करीब 100 एलईडी स्क्रीन के माध्यम से इसका लाइव प्रसारण होगा।
इन मंदिरों में होता है अनोखा सूर्य तिलक!
कुछ जैन और सूर्य मंदिरों में सूर्य तिलक की प्रणाली पहले से इस्तेमाल की जा रही है। हालांकि, इन मंदिरों में इंजीनियरिंग का तरीका अलग है। राम मंदिर में भी इसी प्रणाली का उपयोग किया गया है, लेकिन इंजीनियरिंग में पूरी तरह नया दृष्टिकोण अपनाया गया है।
गुजरात का ऐतिहासिक जैन मंदिर
अहमदाबाद की कोबा जैन तीर्थस्थली में भी सूर्य तिलक किया जाता है। यह तीर्थस्थल जैन ग्रंथों के विशाल संग्रह के लिए मशहूर है। इसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से उत्कृष्टता प्रमाण पत्र भी मिला हुआ है। अहमदाबाद में स्थित यह मंदिर जैन धर्म और विज्ञान के मिश्रण का बेहतरीन उदाहरण है।
यहां हर साल 22 मई को लाखों जैन अनुयायियों की उपस्थिति में सूर्य की किरणें श्री महावीर स्वामी भगवान के मस्तक पर पड़ती हैं। यह अद्वितीय घटना लगभग तीन मिनट तक चलती है।
कोबा जैन आराधना केंद्र के ट्रस्टी बताते हैं कि 1987 से हर साल 22 मई को दोपहर 2:07 बजे सूर्य तिलक होता है। अब तक इस समय बादलों ने कभी सूर्य की किरणों में बाधा नहीं डाली है। ट्रस्टी के अनुसार, इसमें कोई जादू नहीं है, बल्कि गणित, खगोल विज्ञान और मूर्तिकला के पारंपरिक ज्ञान के सही संयोजन और मंदिर के उत्कृष्ट निर्माण की वजह से सूर्य तिलक संभव हुआ है।
महालक्ष्मी मंदिर में मशहूर किरणोत्सव: जानें इस अद्वितीय उत्सव के बारे में!
महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी मंदिर अपने किरणोत्सव के लिए विख्यात है। इस मंदिर का निर्माण सातवीं सदी में चालुक्य वंश के शासक कर्णदेव ने करवाया था। मंदिर में किरणोत्सव की अनोखी घटना तब होती है जब सूर्य की किरणें सीधे देवी की मूर्ति पर पड़ती हैं, और यह साल में दो बार होता है।
31 जनवरी और 9 नवंबर को सूर्य की किरणें देवी के चरणों को छूती हैं। 1 फरवरी और 10 नवंबर को सूर्य की किरणें मूर्ति के मध्य भाग पर पड़ती हैं। 2 फरवरी और 11 नवंबर को सूर्य की किरणें पूरी मूर्ति को रोशनी से नहला देती हैं। इस अद्भुत घटना का लाइव प्रसारण एलईडी स्क्रीन पर किया जाता है। महालक्ष्मी मंदिर में इस किरणोत्सव का उत्सव बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
Balaji Surya Mandir, Datiya M.P
मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित उनाव बालाजी सूर्य मंदिर में सूर्य किरणों से जुड़ी विशेष घटना होती है। दतिया से 17 किमी की दूरी पर स्थित यह प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि यह सूर्य मंदिर प्रागैतिहासिक काल का है। पहाड़ियों के बीच स्थित इस सूर्य मंदिर में सूर्योदय की पहली किरण सीधा गर्भगृह में स्थापित मूर्ति पर पड़ती है।
Surya Mandir, Modhera Gujarat
मेहसाणा से करीब 25 किमी दूर मोढेरा गांव में स्थित सूर्य मंदिर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार, यह मंदिर 1026-27 ईस्वी में चौलुक्य वंश के भीम प्रथम के शासनकाल में बनाया गया था। मंदिर को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि 21 मार्च और 21 सितंबर को सूर्य की किरणें सीधे मंदिर में प्रवेश करती हैं और सूर्य की मूर्ति पर पड़ती हैं। यह मंदिर आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित एक महत्वपूर्ण स्मारक है।